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प्रीमैच्योरिटी के एप्निया को समझना

जो शिशु समय से बहुत पहले (प्रीमैच्योर) पैदा होते हैं, उन्हें प्रायः एप्निया जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ होती हैं। एप्निया तब होता है जब शिशु कुछ समय (15 सेकंड से अधिक) के लिए साँस लेना बंद कर देता है। शिशु की हृदय गति धीमी और रक्त में ऑक्सीजन की कमी भी हो सकती है।

प्रीमैच्योर शिशुओं में एप्निया के कारण

एक अपरिपक्व तंत्रिका तंत्र एप्निया का मुख्य कारण है। प्रीमैच्योर शिशु का मस्तिष्क और उसके रिफ्लेक्सेस पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं। इसलिए रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम होने पर हो सकता है कि शिशु को साँस लेने का रिफ्लेक्स न हो। प्रीमैच्योर शिशुओं के वायुमार्गों के अवरुद्ध होने की संभावना भी तब अधिक होती है जब उनका सिर और गर्दन मुड़े हुए होते हैं या जब वे कार की सीट की तरह एक सीधी खड़ी स्थिति में होते हैं।

कई चीज़ें एप्निया को भी बदतर बना सकती हैं, जैसे कि थकान। साँस लेना कठिन काम है और समय-पूर्व जन्मे शिशिओं (प्रीमीज) की माँसपेशियाँ अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं होती हैं। शिशु को दूध पीना भी थका देने वाला लग सकता है। या हो सकता है कि शिशु दुग्धपान में अपरिपक्व हो। ऐसा तब होता है जब शिशु साँस लेना बंद कर देता है क्योंकि उन्हों ने अभी तक दूध चूसने, निगलने और साँस लेने में समन्वय करना नहीं सीखा है। संक्रमण या बीमारी जैसी अन्य समस्याएँ भी एप्निया को बदतर बना सकती हैं।

एप्निया का उपचार कैसे किया जाता है?

एप्निया वाले शिशु को इनमें से एक या अधिक उपचार की आवश्यकता हो सकती है:

  • हल्की उत्तेजना। शिशु की पीठ या पैरों को सहलाने या त्वचा को थपथपाने से शिशु का तंत्रिका तंत्र उत्तेजित होता है। इससे साँस फिर से शुरू हो सकती है।

  • दवाइयाँ। साँस लेना फिर से शुरू करने में सहायता करने के लिए चिकित्सालय में कैफीन दिया जा सकता है।

  • CPAP (निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव) या नेज़ल कैनुला (नाक में प्रौंग्स)। इन विधियों में शिशु के वायुमार्गों में हवा की एक कोमल, निरंतर धारा भेजी जाती है। उनसे साँस लेना आसान करने में सहायता मिलती है। आवश्यकता पड़ने पर शिशु को अतिरिक्त ऑक्सीजन देने के लिए भी इनका उपयोग किया जा सकता है।

  • वेंटिलेटर। यह मशीन साँस लेने में सहायता करती है। इससे शिशु को एक ट्यूब के माध्यम से हवा, ऑक्सीजन या उनके मिश्रण की साँस दी जाती है जो सीधे श्वासनली में जाती है।

संक्रमण जैसी अन्य समस्याओं का उपचार करने से भी सहायता मिल सकती है।

यदि मेरा शिशु साँस लेना बंद कर दे तो क्या होगा?

NICU (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में रहने के दौरान, आपके शिशु पर करीब से नज़र रखी जाती है। यदि शिशु सेकंड की एक निश्चित संख्या तक साँस नहीं लेता है तो अलार्म बंद हो जाता है। तब NICU का स्टाफ शिशु की जाँच करेगा। यदि शिशु साँस नहीं ले रहा है तो स्टाफ श्वसन पुनः-आरंभ करने के लिए ऑक्सीजन जैसे कदम उठाएगा। आपके शिशु को किसी भी तरह का नुकसान होने से रोकने में सहायता करने के लिए यह बहुत शीघ्रता से किया जाता है।

दीर्घकालिक प्रभाव कौन से हैं?

जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है, प्रीमैच्योरिटी का एप्निया दूर हो जाता है। एक बार यह दूर हो जाए तो कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं होते हैं। अधिकांश शिशु जब तक NICU छोड़ने के लिए तैयार होते हैं, तब तक उनका एप्निया दूर हो जाता है। कुछ शिशु होम मॉनिटर या कैफीन की दवा के साथ NICU से जा सकते हैं। जिन शिशुओं को एप्निया हुआ है, उन्हें बाद में SIDS (अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम) होने का अधिक खतरा नहीं होता है।

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